Sawan Somvar: क्यों माना जाता है यह दिन विशेष फलदायक?
Pauranik Katha: सावन सोमवार (Sawan Somvar) की उत्पत्ति का रहस्य
हिंदू परंपरा में Sawan Somwar को अत्यंत पावन दिन माना गया है, जो विशेषकर भगवान शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर प्रदान करता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन शिवजी की सच्ची श्रद्धा से की गई आराधना मनोवांछित फल देती है। पुराणों के अनुसार, सावन माह में आने वाले सोमवार पर व्रत रखने और शिव पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। यही नहीं, विवाह, संतान प्राप्ति, और रोग मुक्ति जैसे जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति का भी मार्ग प्रशस्त होता है। आइए इस लेख में समझते हैं कि सावन सोमवार Sawan Somvar की परंपरा के पीछे कौन-सी गहरी आध्यात्मिक धारणाएँ और धार्मिक आस्थाएँ छिपी हैं।

स्कंदपुराण और शिवपुराण में वर्णित Sawan Somvar कथा
शिवपुराण के रुद्रसंहिता अध्याय और स्कंदपुराण के काशी खंड में उल्लेख मिलता है कि प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण कन्या थी — जिसका नाम सुषेणा था। अत्यंत भक्तिमती सुषेणा ने आजीवन ब्रह्मचर्य और शिव भक्ति का पालन किया। वह प्रतिदिन सावन में सोमवार को व्रत रखती और नदी से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करती थी।
एक दिन उसे स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन देकर कहा — “तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर मैं स्वयं तुम्हारा कल्याण करूंगा।” कुछ ही समय में उसका विवाह एक ज्ञानी और पुण्यात्मा ब्राह्मण पुत्र से हुआ। विवाह के बाद भी वह सोमवार के व्रत करती रही और उसके घर में कभी दुःख नहीं आया।
यही कथा आज भी शिवभक्तों को प्रेरित करती है कि “श्रद्धा और नियमपूर्वक सावन सोमवार का व्रत करने से जीवन में शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है।”
स्कंद पुराण में भी वर्णन है कि श्रावण मास में शिव का जलाभिषेक करने से सहस्त्र गंगाओं में स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता है।
सावन सोमवार (Sawan Somvar) का ज्योतिषीय महत्व
Sawan Somvar के दिन चंद्रमा, जो मन का कारक ग्रह है, वह अत्यंत प्रभावी स्थिति में होता है। शिव का चंद्र से सीधा संबंध होने के कारण यह दिन मानसिक शांति, इच्छाशक्ति और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है। विशेषकर जब सोमवार और पुष्य या रोहिणी नक्षत्र साथ हों, तब इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

क्या करना चाहिए सावन सोमवार को?
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, अकौड़े के फूल और सफेद चंदन से भगवान शिव का पूजन करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- दिन भर व्रत रखें और शाम को कथा पढ़ें।
क्या नहीं करना चाहिए?
- बेलपत्र को उल्टा या टूटा हुआ न चढ़ाएं।
- कांसे के पात्र से जल न चढ़ाएं।
- तुलसी दल, केतकी का फूल या हल्दी शिव को अर्पित न करें।
- व्रत में अन्न ग्रहण से बचें, केवल फलाहार या जल।
प्राचीन कथा से मिलने वाला संदेश
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि केवल पूजा से नहीं, नियम, आस्था और धैर्यपूर्ण तपस्या से ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। सुषेणा जैसी अटूट श्रद्धा ही भोलेनाथ को प्रिय है।

Sawan Somvar किसे रखना चाहिए सावन सोमवार व्रत?
- कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु।
- विवाहित महिलाएं पति के दीर्घायु और सौभाग्य के लिए।
- पुरुष नौकरी, करियर या धन संबंधी इच्छाओं की पूर्ति के लिए।
आस्था और विज्ञान का समन्वय
मानसून के मौसम में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। व्रत करने और सात्त्विक भोजन लेने से शरीर और मन दोनों को लाभ मिलता है। बेलपत्र, भांग, धतूरा जैसे औषधीय पदार्थों का उपयोग पूजा में करना भी आयुर्वेदिक रूप से लाभदायक होता है। Sawan Somvar का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, तपस्या और शुभता का प्रतीक है। पुराणों की गवाही और आज के विज्ञान की पुष्टि, दोनों ही इस दिन को अत्यंत प्रभावी और शक्तिशाली बनाते हैं।
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