Great Nicobar Project: क्या सच में भारत बना रहा है अपना Singapore और क्यों घबराया China?
Great Nicobar Project: भारत का Singapore बनाने का सपना
जब भी कोई देश तेजी से बढ़ना चाहता है, तो उसे केवल ज़मीन पर ही नहीं बल्कि समुद्र पर भी अपनी पकड़ मजबूत करनी पड़ती है। यही कारण है कि भारत ने Great Nicobar Project के जरिये आइलैंड को बदलने की बड़ी योजना बनाई है।
यह प्रोजेक्ट करीब ₹75,000 से ₹81,000 करोड़ की लागत से बनेगा और इसे 20–25 साल में पूरा करने की योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य है:
- भारत को एशिया का ट्रांसशिपमेंट हब बनाना
- इंटरनेशनल ट्रेड और टूरिज्म बढ़ाना
- स्ट्रैटेजिक लोकेशन से डिफेंस पावर को मजबूत करना
यही कारण है कि Great Nicobar Project “भारत का Singapore” कहा जा रहा है।

Great Nicobar Project में क्या-क्या बनेगा?
1. गैलेथेआ बे पोर्ट – भारत का ट्रेडिंग हब
- यहाँ बनने जा रहा है International Container Transshipment Terminal (ICTT)।
- पहले फेज़ में इसकी क्षमता 4 मिलियन TEUs होगी।
- भविष्य में यह पोर्ट सिंगापुर, कोलंबो और पोर्ट क्लांग जैसे बड़े हब्स को टक्कर दे सकता है।
2. ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- इस एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें शुरू होंगी।
- लक्ष्य है कि निकोबार को सीधे एशिया के बड़े शहरों से जोड़ा जाए।
- टूरिज्म और बिज़नेस ट्रैवल दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
3. स्मार्ट सिटी और टाउनशिप
- दो नई कोस्टल ग्रीनफील्ड सिटीज बनाई जाएंगी।
- इनमें लग्जरी होटल, रिसॉर्ट, इंडस्ट्रियल एरिया और मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर होगा।
- यह टाउनशिप भारत की पहली “Island Smart City” बन सकती है।
4. पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर
- गैस और सोलर पावर प्लांट्स से बिजली सप्लाई होगी।
- हाईवे, मरीन ड्राइव और ब्रिजेज़ का नेटवर्क तैयार होगा।
Great Nicobar Project स्ट्रैटेजिक महत्व: क्यों है यह इतना खास?
- भौगोलिक पोजीशन:
Great Nicobar Project स्ट्रेट ऑफ मलक्का के पास है। यह वही जगह है, जहां से दुनिया का 30% से ज्यादा समुद्री व्यापार गुजरता है। - डिफेंस एडवांटेज:
अगर यह पोर्ट और एयरपोर्ट तैयार हो जाता है, तो भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। - आर्थिक फायदा:
- ट्रांसशिपमेंट से अरबों डॉलर की कमाई होगी।
- लाखों नई नौकरियां पैदा होंगी।
- टूरिज्म और रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

Great Nicobar Project भारत का Singapore क्यों कहा जा रहा है?
- Singapore ने छोटे से देश होते हुए भी पोर्ट और लॉजिस्टिक्स के दम पर दुनिया की टॉप इकॉनमीज़ में जगह बनाई।
- भारत भी चाहता है कि ग्रेट निकोबार को उसी तरह का ट्रेडिंग हब बनाया जाए।
- स्मार्ट सिटी, इंटरनेशनल पोर्ट और लग्जरी टूरिज्म – यह सब मिलकर इसे “Bharat ka Singapore” बनाते हैं।
चीन की नज़र से: क्यों है Great Nicobar Project परेशानी का कारण?
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट (Great Nicobar Project) सिर्फ भारत की इकॉनमी और टूरिज्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर एशिया की जियो-पॉलिटिक्स पर पड़ सकता है। यही वजह है कि चीन इस प्रोजेक्ट को लेकर असहज है।
1. स्ट्रेट ऑफ मलक्का पर पकड़
- दुनिया का लगभग 60% तेल और गैस ट्रेड स्ट्रेट ऑफ मलक्का से होकर गुजरता है।
- चीन अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा इसी रूट से पूरा करता है।
- अगर भारत ग्रेट निकोबार में मजबूत पोर्ट और डिफेंस बेस बनाता है, तो वह इस रूट पर निगरानी और कंट्रोल बढ़ा सकता है।
2. String of Pearls Strategy को चुनौती
- चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान (Gwadar), म्यांमार (Kyaukpyu) और अन्य जगहों पर पोर्ट बनाए हैं।
- इसे “String of Pearls” स्ट्रैटेजी कहा जाता है।
- भारत का यह प्रोजेक्ट सीधे चीन की इस रणनीति को चुनौती देगा और हिंद महासागर में भारत की नेवी डॉमिनेंस बढ़ाएगा।
3. व्यापारिक टक्कर
- आज एशिया में सिंगापुर और कोलंबो जैसे पोर्ट्स चीन-समर्थित ट्रेड नेटवर्क का हिस्सा माने जाते हैं।
- अगर ग्रेट निकोबार हब बन गया, तो चीन के व्यापारी जहाजों को भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर होना पड़ेगा।
- इससे चीन का लॉजिस्टिक और शिपिंग बिजनेस प्रभावित हो सकता है।
4. सुरक्षा की चिंता
- चीन को डर है कि ग्रेट निकोबार (Great Nicobar Project) से भारत और उसके सहयोगी (जैसे अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) इंडो-पैसिफिक में उसकी गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं।
- यह जगह Quad देशों की रणनीति में भी अहम हो सकती है।

Great Nicobar Project पर्यावरण और विवाद
लेकिन हर बड़ी परियोजना के साथ विवाद भी आते हैं।
- वन कटाई: लाखों पेड़ काटे जाएंगे।
- बायोडायवर्सिटी: यह जगह कछुओं, मकाक बंदरों और कोरल रीफ्स का घर है।
- आदिवासी समुदाय: शोमपेन और निकोबारी जनजातियों की संस्कृति और जीवन प्रभावित होगा।
- भूकंप का खतरा: यह इलाका सीस्मिक ज़ोन में है, जहां 2004 की सुनामी जैसी घटनाएँ हो सकती हैं।
कई पर्यावरणविद और एनजीओ सुप्रीम कोर्ट तक अपनी चिंताएँ रख चुके हैं।
Great Nicobar Project सरकार का पक्ष
भारत सरकार का कहना है कि:
- विकास ग्रीन टेक्नोलॉजी से होगा।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए वैकल्पिक उपाय किए जाएंगे।
- आदिवासी समुदायों को भी विकास का हिस्सा बनाया जाएगा।
सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट केवल भारत ही नहीं, पूरे एशिया की इकॉनमी को प्रभावित करेगा।
Great Nicobar Project फायदे और नुकसान
| फायदे | नुकसान / चुनौतियाँ |
|---|---|
| भारत को नया ट्रेडिंग हब मिलेगा | पर्यावरण को नुकसान |
| लाखों नौकरियां पैदा होंगी | आदिवासी समुदाय प्रभावित |
| डिफेंस पोजीशन मजबूत होगी | सीस्मिक जोन का खतरा |
| टूरिज्म और विदेशी निवेश बढ़ेगा | अरबों की लागत और समय |
भविष्य की तस्वीर: क्या बनेगा सच में Bharat ka Singapore?
अगर सब योजना Great Nicobar Project के अनुसार हुआ तो अगले 20 सालों में ग्रेट निकोबार की पहचान पूरी तरह बदल जाएगी।
- यहाँ इंटरनेशनल शिप्स रुकेंगी।
- एयरपोर्ट से दुनियाभर में उड़ानें जाएंगी।
- टूरिज्म इंडस्ट्री बूम करेगी।
- भारत का नाम एशिया के सुपरहब के रूप में लिया जाएगा।
लेकिन यह तभी संभव है, जब डेवलपमेंट और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहे।
आशा है कि यह Great Nicobar Project जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। अधिक जानने के लिए DeshSampark.com पर रोजाना विज़िट करें।
Also Read:
Global Corruption Index 2025: भारत की रैंकिंग ने चौंकाया
Online Gaming Bill 2025: नया नियम, Dream11 का 3.0 मॉडल और PUBG-Free Fire खिलाड़ियों के लिए राहत
7 Shocking Truths: Nepal Gen Z Riots 2025 — युवाओं का गुस्सा: मंत्री भी नहीं बचे
